बाल श्रमिक विद्या योजना 9 श्रेणियों में निम्नवत् लागू की जायेगी:-
प्रथम श्रेणी | सर्वोच्च एवं प्रथम प्राथमिकता उन बच्चों को दी जाये जो कि ऐसे पात्र परिवारों की श्रेणी में आते है जहाँ पर माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी हो तथा बच्चे द्वारा दिए जाने वाले कार्य से प्राप्त आय ही परिवार की आय का मुख्य श्रोत हो तथा बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो| |
द्वितीय श्रेणी | द्वितीय प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ पिता की मृत्यु हो चुकी हो और वह बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य कर रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण में कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो| |
तृतीय श्रेणी | तृतीय प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ माता-पिता दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हैं और बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य कर रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो। |
चतुर्थ श्रेणी | चतुर्थ प्राथमिकता उन बच्चों को दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते हैं जहाँ माता-पिता असाध्य रोग से ग्रसित हैं और बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य का रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो। |
पंचम श्रेणी | पंचम प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ पिता स्थायी रूप से दिव्यांग हो और वह बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य कर रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो। |
षष्टम् श्रेणी | छष्ठम प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ पिता किसी गम्भीर असाध्य रोग से ग्रसित हो और वह बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य कर रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो। |
सप्तम श्रेणी |
सप्तम प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ महिला या माता परिवार की मुखिया हो और बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य कर रहा है और बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो
नोट :- परिवार की मुखिया माता/महिला से तात्पर्य यह होगा कि पति की मृत्यु हो गयी हो /महिला तलाक शुदा हो और बच्चों/परिवार में भरण पोषण की जिम्मेदारी सम्बंधित महिला पर हो। |
अष्ठम श्रेणी | अष्ठम प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जहाँ माता की मृत्यु हो चुकी हो अथवा माता स्थायी रूप से दिव्यांग हो अथवा माता किसी गम्भीर असाध्य रोग से ग्रसित हो। |
नवम श्रेणी | नवम प्राथमिकता उन बच्चों की दी जाये जो कि ऐसे परिवार से आते है जो कि भूमिहीन परिवार है और बच्चा परिवार का आर्थिक सहयोग करने के कारण से कहीं कार्य का रहा है | ऐसा बच्चा किसी निरीक्षण/सर्वेक्षण के माध्यम से कामकाजी बच्चे के रूप में चिन्हित हुआ हो। |
उद्देश्य:- बाल श्रमिक विद्या योजना का उद्देश्य ०८-१८ आयु वर्ग के ऐसे कामकाजी बच्चों/किशोर-किशोरियों द्वारा की जा रही है, आय की क्षतिपूर्ति कर उनका विद्यालय में प्रवेश कराकर निस्तारण सुनिश्चित करना|
परिभाषा:- ०८-१८ आयु वर्ग के वह कामकाजी बच्चे/किशोर-किशोरी जो की संगठित अथवा असंगठित क्षेत्र में कार्य कर अपने परिवार की आय में वृद्धि में सहयोग कर रहे हैं| इसमें कृषि, गैर कृषि, स्वरोजगार, गृह आधारित प्रतिष्ठान, घरेलू कार्य व किसी प्रकार का भी अन्य श्रम सम्मिलित होगा|
परिवार की अर्हता:- ऐसे परिवार जहाँ-
(i) माता या पिता अथवा दोनों की मृत्यु हो चुकी हो|
(ii) माता या पिता अथवा दोनों स्थाई रूप से विकलांग हो|
(iii) महिला या माता या पिता की मुखिया हो|
(iv) माता या पिता अथवा दोनों स्थाई किसी गंभीर असाध्य रोग से ग्रसित हो|
(v)भूमिहीन परिवार|
आच्छादित जिले:- जनगणना-वर्ष २०११ के अनुसार सर्वाधिक कामकाजी बच्चो की संख्या २० जिलो को लक्षित किया जाना है|
योजना के प्रथम चरण में बल श्रम से प्रभावित २० जिलों यथा- आगरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, बलिया, लखनऊ, बाराबंकी, बरेली, बदायु, गाजियाबाद, गोरखपुर, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, मुरादाबाद, सोनभद्र, मिर्जापुर, जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर, को सम्मिलित किया गया है|
लक्ष्य:- आच्छादित 20 जिलों हेतु प्रति जिले 100 लाभार्थियों की दर से कुल लाभार्थियों का लक्ष्य 2000 कामकाजी बच्चे होगें।
चयन प्रक्रिया:-
(i) जहाँ माता या पिता अथवा दोनों की मृत्यु हो गई हो से सम्बंधित कामकाजी बच्चों की पहचान ग्राम पंचायतों, स्थानीय निकायो के अधिशाषी अधिकारी, चाइल्ड लाइन अथवा विद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा किया जायेगा। अधिकारी/नगर स्वास्थ्य अधिकारी व चाइल्ड लाइन द्वारा सकंलित कर सम्बंधित क्षेत्रीय अपर/उप/सहायक श्रम आयुक्त/श्रम प्रवर्तन अधिकारी को उपलब्ध करायी जायेगी। क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त द्वारा अंतिम रूप से लाभार्थी के चयन की स्वीकृति के उपरान्त उसे ई-ट्रैकिंग सिस्टम पर अपलोड किया जायेगा।
(ii) माता या पिता अथवा दोनों स्थाई रूप से दिव्यांग हो से सम्बंधित कामकाजी बच्चों की पहचान ग्राम पंचायतों, स्थानीय निकायों, चाइल्ड लाइन अथवा विद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा श्रम विभाग द्वारा निर्गत प्रमाण-पत्र के आधार पर किया जायेगा।
(iii) माता या पिता अथवा दोनों किसी गम्भीर असाध्य रोग से ग्रसित हो, गम्भीर असाध्य रोग के सबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी/ चिकित्साधिकारी द्वारा उपलब्ध कराया गया प्रमाण-पत्र के आधार पर परिवारों को ग्राम पंचायतों, स्थानीय निकायो के अधिशाषी अधिकारी/नगर स्वास्थ्य अधिकारी व जोनल अधिकारी चाइल्ड लाइन एवं विद्यालय प्रबन्धन समिति के द्वारा चिन्हित कर संस्तुति की जायेगी।
(iv) भूमिहीन परिवारों व महिला प्रमुख परिवारों के चयन हेतु जनगणना वर्ष 2011 का सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (SECC) की सूची का उपयोग किया जा सकेगा इस सूची में से कामकाजी बच्चों के परिवारों की पहचान सम्बंधित क्षेत्र की विद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा किया जाएगा।
(v) श्रम विभाग के अधिकारियों द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में सर्वेक्षण/निरीक्षण माध्यम से निर्धारित अर्हता वाले कामकाजी बच्चों को चिन्हित किया जायेगा।
(vi) कामकाजी बच्चों को लाभार्थी के रूप में सम्मिलित करने की अनुशंसा ग्राम पंचायत सचिव/ग्राम विकास अधिकारी/स्थानीय निकायों के अधिशाषी अधिकारी/नगर स्वास्थ्य अधिकारी व चाइल्ड लाइन द्वारा सकंलित कर सम्बंधित क्षेत्रीय अपर/उप/सहायक श्रम आयुक्त/श्रम प्रवर्तन अधिकारी को उपलब्ध करायी जायेगी। क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त द्वारा अंतिम रूप से लाभार्थी के चयन की स्वीकृति के उपरान्त उसे ई-ट्रैकिंग सिस्टम पर अपलोड किया जायेगा।
लाभ(आर्थिक सहायता):-
(i) आर्थिक सहायता की धनराशि प्रत्येक माह रू० 1000/- बालकों के लिए व रू० 1200/- बालिकाओं के लिए देय होगी । योजना से आच्छादित बालकों को रू० 12000/- व बालिकाओं को रू० 14400/- प्रतिवर्ष देय होगी।
(ii) जो लाभार्थी योजना के अन्तर्गत कक्षा-8, 9 व 10 तक की शिक्षा प्राप्त करते हैं तो उन्हे कक्षा-8 उत्तीर्ण करने पर रू० 6000/- कक्षा-9 उत्तीर्ण करने पर रू० 6000/- व कक्षा-10 उत्तीर्ण करने पर रू० 6000/- की अतिरिक्त धनराशि प्रोत्साहन के रूप में देय होगी।
लाभार्थियों की ई-ट्रैकिंग-
(i) आच्छादित सभी लाभार्थियों का विवरण ऑनलाइन ई-ट्रैकिंग सिस्टम पर अपलोड किया जायेगा। (ई-ट्रैकिंग सिस्टम यूनीसेफ द्वारा श्रम व शिक्षा विभाग के सहयोग से तैयार किया जायेगा)
(ii) योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु विद्यालय में न्यूनतम 70 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। इस सम्बन्ध में ई-ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से विद्यालय के प्रधानाध्यापक को लाभार्थी की नियमित उपस्थिति को प्रमाणित करना होगा।
(iii) योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु विद्यालय में न्यूनतम 70 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी।
योजना का संचालन:-
(i) कामकाजी बच्चों का लाभार्थी के रूप में अंतिम चयन/आच्छादन सम्बंधित जिलें के सहायक श्रम आयुक्त /श्रम प्रवर्तन अधिकारी की संस्तुति पर क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त द्वारा किया जायेगा।
(ii) योजना के अन्तर्गत सभी प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति का अधिकार क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त को होगा।
(iii) योजना के अन्तर्गत समस्त वित्तीय लाभ/धनराशि लाभार्थी के बैंकखाते में सीधे जमा की जायेगी।
योजना का अनुश्रवण एवं समीक्षा:-
(i) प्रत्येक माह:- सम्बंधित सहायक श्रम आयुक्त/श्रम प्रवर्तन अधिकारी तथा सम्बंधित अपर/उप श्रम आयुक्त प्रत्येक दो माह में अपने स्तर पर योजना के क्रियान्वयन व योजना की प्रगति की समीक्षा की जायेगी।
(ii) प्रत्येक दो माह में:- सम्बंधित अपर/उप श्रम आयुक्त व जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जनपदीय बाल श्रम उन्मूलन समिति की बैठक में किया जायेगा तथा स्थानीय स्तर पर योजना के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं का निवारण इसी बैठक के माध्यम से कराया जायेगा |
(iii) विभागाध्यक्ष के स्तर पर:- श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश के स्तर पर क्षेत्रीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक में योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की जायेगी।
(iv) शासन स्तर पर:- प्रत्येक छमाही प्रदेश शासन के स्तर पर राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक में योजना की समीक्षा प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा की जायेगी।
(v) प्रवेशित कामकाजी बच्चों की विद्यालय में निरन्तरता:- विद्यालय प्रबन्धन समिति व बेसिक शिक्षा अधिकारी।
(vi) आर्थिक सहायता के अतिरिक्त अन्य सरकारी सामाजिक सुरक्षाओं से सम्बंधित लाभ उपलब्ध कराने का दायित्व:-
सम्बंधित जिला पंचायत अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डूडा, व स्थानीय निकायों के अधिशाषी अधिकारी।
(vii) सरकारी समाजिक सुरक्षाओं से सम्बंधित लाभ दिए जाने की समीक्षा:- प्रत्येक दो माह में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा।
(viii) मासिक प्रगति विवरण:- क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त द्वारा योजना की प्रगति प्रत्येक माह निर्धारित प्रारूप पर श्रम आयुक्त कार्यालय उत्तर प्रदेश कानपुर में बाल श्रम प्रकोष्ठ को दी जायेगी।
लाभार्थियों का प्रदेश में संवहन(Portability):-
यदि लाभार्थी बच्चे/किशोर-किशोरी का परिवार प्रदेश के ही अन्दर किसी अन्य जिले में विस्थापित (Migrate) करता है तो योजना का लाभ निरन्तर मिलता रहेगा।
लाभार्थियों का प्रवेश हेतु विद्यालयों का प्रकार:-
योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जायेगा कि लाभार्थी बच्चों/किशोरों को निकटतम सरकारी विद्यालयो में प्रवेशित कराया जाये। यदि एक किलोमीटर की परिधि में ऐसे विद्यालय उपलब्ध न हो तो किसी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय में भी प्रवेशित कराया जा सकता है।
शिकायत निवारण व्यवस्था:-
(i) योजना के सम्बन्ध में शिकायत है तो वह अपनी शिकायत सीधे जिलाधिकारी कार्यालय अथवा ई-ट्रेकिंग सिस्टम पर ऑनलाइन कर सकता है।
(ii) शिकायतों का प्रस्तुतीकरण/निवारण जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जनपदीय समिति के समक्ष प्रस्तुत कर एक माह के भीतर किया जाना होगा।
अन्य हित लाभ:-
योजना के अंतर्गत पात्र कामकाजी बच्चों/किशोरों उनके परिवारों को योजना में देय आर्थिक लाभों के अतिरिक्त विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से जोड़ा जाना है। इनमें निम्न योजनांए भी सम्मिलित होगी।
(i) विधवा पेंशन
(ii) दिव्यांग पेंशन
(iii) वृद्धावस्था पेंशन
(iv) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत देय लाभ
(v) प्रधानमंत्री आवास योजना
(vi) अटल पेंशन योजना
(vii) आम आदमी बीमा योजना
(viii) विभिन्न विभागों द्वारा उपलब्ध करायी जा रही प्री-मैट्रिक व पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति
बाल श्रमिक विद्या योजना (BSVY) का उद्देश्य बाल श्रमिकों को स्कूल में उनकी वापसी और शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना है|
बाल श्रमिक विद्या योजना (BSVY) में 8-18 वर्ष आयु वर्ग के ऐसे बच्चों को परिभाषित किया गया है, जो कि संगठित या असंगठित क्षेत्र में काम कर अपनी पारिवारिक आय को पूरा कर रहे है । इसमें कृषि कार्य में मदद, घरेलू मदद एवं श्रम का कोई अन्य रूप शामिल है ।
बाल श्रमिक विद्या योजना (BSVY) के लाभार्थियों की पहचान के लिए निम्न भूमिकाएं निर्धारित की हैं:
योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी की फोटो, आधार कार्ड व बैंक की पासबुक होना अनिवार्य है, आर्थिक सहायता सीधे बच्चे के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी और हस्तांतरण की पुष्टि करने वाला एक संदेश पंजीकृत फोन नंबर पर भेजा जाएगा ।
योजना के अंतर्गत आच्छादित बालक/किशोर को 1,000 रुपये (12,000 / वर्ष) व बालिका/ किशोरी को 1,200 रुपये प्रति माह (14,400 रुपये) मिलेगा । योजना में कक्षा 8, 9 या 10 तक की शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों को प्रत्येक कक्षा को पूरा करने के लिए 6,000 रुपये की अतिरिक्त राशि दी जाएगी ।
बाल श्रमिक विद्या योजना (BSVY) के लाभार्थियों को उनके नजदीकी सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा ।
यदि किसी बच्चे के निवास के एक किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी स्कूल नहीं है, तो वे किसी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल में बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन से प्रवेश ले सकते हैं ।
योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता अधिकतम पाँच साल या जब तक बच्चा 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण नहीं करेगा, जो भी पहले आता हो ।
हाँ, बाल श्रमिक विद्या योजना(BSVY) के लाभार्थियों को योजना लाभ लेने के लिए न्यूनतम 70% की स्कूल उपस्थिति अनिवार्य है । सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा सत्यापन के बाद ई-ट्रैकिंग प्रणाली में उनकी उपस्थिति दर्ज की जाएगी । यह सत्यापन प्रधानाचार्यों द्वारा प्रत्येक वर्ष के मई, सितंबर और जनवरी के महीनों में किया जाएगा| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा योजना की नियमित समीक्षा की जाएगी ।
स्कूल से बार-बार अनुपस्थित रहने वाले लाभार्थी बच्चों के सम्बन्ध में विद्यालय प्रबन्धन समिति (SMC) उनके परिवार की काउंसलिंग करेगी और उक्त कारणों का पता लगा कर उसका समाधान सुझाएगी, जिसके कारण बच्चा लगातार स्कूल नहीं आ रहा है |
यदि लाभार्थी बालक/बालिका व किशोर/किशोरी का परिवार प्रदेश के ही अन्दर किसी अन्य जिले में जाता है तो योजना का लाभ निरन्तर मिलता रहेगा।
योजना को पहले चरण में 13 मण्डलों के 57 जिलों में लागू किया गया है । इसमें वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक बाल श्रमिक वाले 20 जिले (आगरा, इलाहाबाद, कानपुर नगर, बलिया, बाराबंकी, बरेली, बदायूं, लखनऊ, गाजियाबाद, गोंडा, गोरखपुर, श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, मुरादाबाद, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर) में प्राथमिकता के आधार पर लागू की जाएगी तथा सम्बंधित मण्डलों के शेष जनपदों से लक्ष्य पूरा होने तक लाभार्थियों का चयन किया जायेगा |
इस योजना से आच्छादित मण्डलों/जिलों हेतु कुल लक्ष्य 2000 कामकाजी बच्चे है व प्रथम चरण में प्राथमिकता के २० जिलो हेतु प्रति जिला १०० बच्चों का लक्ष्य है |
सभी लाभार्थियों का डेटा श्रम विभाग व शिक्षा विभाग के सहयोग से यूनिसेफ द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक ई-ट्रैकिंग प्रणाली पर अपलोड किया जाएगा । इस जानकारी को ग्राम पंचायतों / स्थानीय अधिकारियों / स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों और चाइल्ड लाइन जोनल अधिकारी द्वारा संदर्भित किया जाएगा उसके उपरांत डेटाबेस में अनुमोदन और अंतिम प्रविष्टि के लिए उप श्रम आयुक्त के साथ साझा किया जाएगा ।
योजना के चयन व अन्य सम्बंधित शिकायतों को ऑनलाइन ई-ट्रैकिंग सिस्टम पर दर्ज किया जा सकता है । सम्बंधित शिकायत का निस्तारण एक महीने के भीतर किया जायेगा ।
हाँ, बाल श्रमिक विद्या योजना (BSVY) के लाभों के अलावा सम्बंधित परिवार को जिला स्तरीय पंचायत, विकास अधिकारी और कार्यक्रम अधिकारी अन्य सरकारी कल्याण योजनाओं से जोड़ने के लिए जिम्मेदार होंगे व निम्न योजनाओं में पात्र परिवारों को शामिल कर सकते है -
क्रमांक संख्या | शिकायत संख्या | व्यक्ति का नाम | मोबाइल नंबर | पता | विवरण भरें | स्थिति |
---|